राहुल गांधी की बिहार यात्रा: सामाजिक न्याय और शिक्षा पर जोरकांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 15 मई 2025 को बिहार का दौरा किया, जो उनकी पिछले पांच महीनों में चौथी यात्रा थी। इस बार उनका दौरा सामाजिक न्याय, शिक्षा, और दलित-पिछड़े वर्गों के मुद्दों को केंद्र में रखकर चर्चा में रहा। बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं, और ऐसे में राहुल गांधी की यह यात्रा कांग्रेस के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। उनके इस दौरे में दरभंगा के अंबेडकर हॉस्टल में छात्रों से संवाद और पटना में ‘फुले’ फिल्म देखने का कार्यक्रम शामिल था।
राहुल गांधी की यात्रा की शुरुआत दरभंगा से हुई, जहां वे ‘शिक्षा न्याय संवाद’ कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे। वे मोगलपुरा स्थित डॉ. अंबेडकर कल्याण छात्रावास में दलित और पिछड़े वर्ग के छात्रों से संवाद करना चाहते थे। हालांकि, जिला प्रशासन ने इस कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी, जिसके बाद काफी विवाद हुआ। प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था का हवाला देते हुए राहुल गांधी के काफिले को खानकाह चौक पर रोक दिया। लेकिन राहुल गांधी ने हार नहीं मानी और अपने समर्थकों के साथ पैदल ही छात्रावास पहुंच गए। वहां मंच से उन्होंने छात्रों को संबोधित किया और कहा कि कोई भी शक्ति उन्हें कमजोर वर्गों से मिलने से नहीं रोक सकती। राहुल ने इस दौरान जातिगत जनगणना और शिक्षा में समानता जैसे मुद्दों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बिहार में 24 घंटे अत्याचार हो रहा है, पेपर लीक हो रहे हैं, और छात्रों को बोलने की आजादी नहीं दी जा रही है।
दरभंगा के बाद राहुल गांधी पटना पहुंचे, जहां उन्होंने सिटी सेंटर मॉल के आईनॉक्स थियेटर में ‘फुले’ फिल्म देखी। यह फिल्म समाज सुधारक ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले के जीवन और संघर्षों पर आधारित है। राहुल गांधी ने करीब 400 लोगों के साथ यह फिल्म देखी, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेस नेता शामिल थे। फिल्म देखने के बाद राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक भावुक पोस्ट साझा की। उन्होंने लिखा, “शिक्षा, समानता और न्याय की राह आसान नहीं है। महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले जी का जीवन हमारे समाज और देश को इस राह पर मार्गदर्शन कर सकता है।” हालांकि, इस दौरान थियेटर के बाहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया, क्योंकि पास होने के बावजूद उन्हें अंदर प्रवेश नहीं दिया गया। कार्यकर्ताओं ने सरकार और पुलिस पर भेदभाव का आरोप लगाया।
राहुल गांधी का यह दौरा कांग्रेस की रणनीति को दर्शाता है, जिसमें वे दलित और पिछड़े वर्गों को साधने की कोशिश कर रहे हैं। ‘फुले’ फिल्म को देखकर उन्होंने सामाजिक सुधार और न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। वहीं, अंबेडकर हॉस्टल में उनकी उपस्थिति ने शिक्षा और समानता के मुद्दों को और मजबूती दी। हालांकि, कुछ आलोचकों का मानना है कि राहुल गांधी का यह कदम महज चुनावी रणनीति है, जबकि उनके समर्थक इसे सामाजिक बदलाव की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानते हैं। बिहार चुनाव से पहले राहुल गांधी की यह सक्रियता कांग्रेस के लिए कितना फायदा लाएगी, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।